मैं किधर जाऊँगा? अगर तुम चले जाओगे।
मैं बिखर जाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
यादों की चादर में लिपट जाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं कहाँ फिर इस दर्द से निकल पाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं आंसू सा बनकर पिघल जाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं आख़री शाम के सूरज सा ढल जाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं किसी कोने में जाकर छुप जाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं घुटनों में सर देकर ज़ोर ज़ोर से चिलाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं अगली सुबह उठने से कतराऊंगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं किस्मतों से नाराज़गी जताऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं बेहोशियों के हवाले हो जाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं सांसों के रुक जाने की सिफ़ारिशें कर जाऊँगा, अगर तुम चले जाओगे।
मैं तो जिधर जाऊँगा, तुम याद बनकर चले आओगे।
मैं बिखर जाऊँगा, जो तुम फिर चले जाओगे।
©Amit Vashisht
#Apocalypse
मैं तुम में ही खोया रह जाऊंगा, जब तुम चले जाओगे।
तेरी आवाज की गूंज में झूमता रह जाऊंगा, जब तुम चले जाओगे।