खरोंच भी इक दिन नासूर हो जातीं हैं महब्बत जब जिंद | English Shayari

"खरोंच भी इक दिन नासूर हो जातीं हैं महब्बत जब जिंदगी से दूर हो जातीं है मल्लाह हर छोटी बड़ी लहरों को काट देता है अकेली कश्ती तूफानों में चूर हो जातीं हैं ©Baljit Singh Buttar"

 खरोंच भी इक दिन नासूर हो जातीं हैं 
महब्बत जब जिंदगी से दूर हो जातीं है
मल्लाह हर छोटी बड़ी लहरों को काट देता है 
अकेली कश्ती तूफानों में चूर हो जातीं हैं

©Baljit Singh Buttar

खरोंच भी इक दिन नासूर हो जातीं हैं महब्बत जब जिंदगी से दूर हो जातीं है मल्लाह हर छोटी बड़ी लहरों को काट देता है अकेली कश्ती तूफानों में चूर हो जातीं हैं ©Baljit Singh Buttar

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