जग मग जग मग दीप जले , सरयू तट आकाश अवध की झिल मि | मराठी कविता

"जग मग जग मग दीप जले , सरयू तट आकाश अवध की झिल मिल रोशनी, फैला जगत प्रकाश ! फैला जगत प्रकाश,भव्य दिव्य दिवाली वर्ष पांच सौ की वो राते,नही रही अब काली ! कह सरपट कविराय, जन की विजयी भावना दोहरी दिवाली की खुशी,स्वीकारें शुभकामना ! ✍️सरपट सादलपुरी ©rohit verma"

 जग मग जग मग दीप जले , सरयू तट आकाश  
अवध की झिल मिल रोशनी, फैला जगत  प्रकाश !
फैला जगत प्रकाश,भव्य दिव्य  दिवाली 
  वर्ष पांच सौ की वो राते,नही रही अब काली ! 
कह सरपट कविराय, जन की विजयी भावना 
दोहरी दिवाली की खुशी,स्वीकारें शुभकामना !
             ✍️सरपट सादलपुरी

©rohit verma

जग मग जग मग दीप जले , सरयू तट आकाश अवध की झिल मिल रोशनी, फैला जगत प्रकाश ! फैला जगत प्रकाश,भव्य दिव्य दिवाली वर्ष पांच सौ की वो राते,नही रही अब काली ! कह सरपट कविराय, जन की विजयी भावना दोहरी दिवाली की खुशी,स्वीकारें शुभकामना ! ✍️सरपट सादलपुरी ©rohit verma

#diwali2020

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