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*गुरु*
गुरु की महिमा का करो,मिलकर सब गुणगान।
गुरु के पावन ज्ञान से,पा लोगे भगवान।।
गुरु आशा का दीप हैं,बाती हैं भगवान।
गुरु की महिमा से मनुज,तू क्यों है अनजान।।
भव सागर से तार दे,गुरू की शक्ति अपार।
गुरु चरणों में जो पड़ा,होता बेड़ा पार।।
चरण शरण में जो पड़ा,पाया ज्ञान अथाह।
गुरु कथनों पर जो चला,मिली उसे ही राह।।
अन्धकार का नाश कर,अंतस करें प्रकाश।
गुरु की पूजा जो करे,होता नहीं निराश।।
-स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी "राम"
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)
©Ramji Tiwari
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