सुना था कभी पर देखा नहीं था,
लिखा था कभी पर पढ़ा नही था,
मालूम थी शतरंज की चालें
देखा था लेकिन खेला नहीं था।
थी जीत ढाई कदम दूर लेकिन
हाथी था पर घोडा नहीं था,
बुनियाद धोखे की खुदी है यहां,
सच को दबा दे वो गड्ढा नहीं था,
बख़्तर में कोई डर के छुपा था
होगा कोई पर कछुआ नहीं था,
तन्हा है वीरान है ये जहान भी
था अक्स कोई हमनवा नहीं था
थी जून की रात सर्द था मौसम
थी चाँदनी वो चांदना नहीं था
सानू तेरी ज़िन्दगी में था आया,
आया था पर वो खुदा नहीं था।
सुना था कभी #Nojotovoice #nojotoghazal