तन्हाईयो से जुदा वो अब, गैर को अपना बना मचलती है ...
मेरी यादों को किसी और के बाहों में भरकर सोती है..
अब तन्हां वो नहीं इस बात पर मचलती है...
वो अब मुझसे नींद में मिलती हैं मगर
अपने होठों पर किसी और का निशानी ले कर ....
खुली आँखों से तन्हां मिलती नहीं अब ,
वो हर बात पर मचलती फिरती है अब...
उसकी खामोशी ने कर दी, हम दोनो में पैदा दूरीयाँ...
..
उसकी कसम ने रोक दी मेरे कदम
दीवारें खड़ी की कैसी
जो तोड़ न सके मेरे कदम
उसके प्यार बिना कर्वी जिन्दगी बना ली हमने
प्यार का सफर टूटा फूटा कर ली हमेंने....
इश्क का रेला है कैसा उबर पाए हम नहीं
तन्हा अब वो नहीं मेरी नींद में भी मेरी नहीं......
एक एक पल क्या ख़ूब मचलती है
गैरों को अपना कह क्या ख़ूब इतराती है मगर...
फिक्र रहा नहीं अब उसे मेरा
सुना है गैर के घर हो अपना कह नाचती फिरती है
प्यार इश्क कसमें वादें इरादें सपनें सब मेरे गैर की अब अमानतें
एक दूसरे को अपना बनाना जाने वो भी नहीं मैं भी नहीं...
अब गैर की बाहों को अपना कह भरती हमारी आहें
हमारी तन्हाई के आंसू खुशियों के बीच चुपके से कभी तो टपकते होंगे .......
तन्हाईयो से जुदा वो अब, गैर को अपना बना मचलती है ...
मेरी यादों को किसी और के बाहों में भरकर सोती है..
#निशीथ
©Nisheeth pandey
तन्हाईयो से जुदा वो अब, गैर को अपना बना मचलती है ...
मेरी यादों को किसी और के बाहों में भरकर सोती है..
अब तन्हां वो नहीं इस बात पर मचलती है...
वो अब मुझसे नींद में मिलती हैं मगर
अपने होठों पर किसी और का निशानी ले कर ....
खुली आँखों से तन्हां मिलती नहीं अब ,
वो हर बात पर मचलती फिरती है अब...