ज़िन्दगी जैसी तमन्ना थी नहीं कुछ कम है हर घड़ी हो | हिंदी Shayari

"ज़िन्दगी जैसी तमन्ना थी नहीं कुछ कम है हर घड़ी होता है एहसास कहीं कुछ कम है घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है अपने नक़्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी दिल में उम्मीद तो काफ़ी है यक़ीं कुछ कम है अब जिधर देखिये लगता है कि इस दुनिया में कहीं कुछ चीज़ ज़ियादा है कहीं कुछ कम है आज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबब ये अलग बात कि पहली सी नहीं कुछ कम है ©Deepbodhi"

 ज़िन्दगी जैसी तमन्ना थी नहीं कुछ कम है
हर घड़ी होता है एहसास कहीं कुछ कम है

घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है
अपने नक़्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है

बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी
दिल में उम्मीद तो काफ़ी है यक़ीं कुछ कम है

अब जिधर देखिये लगता है कि इस दुनिया में
कहीं कुछ चीज़ ज़ियादा है कहीं कुछ कम है

आज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबब
ये अलग बात कि पहली सी नहीं कुछ कम है

©Deepbodhi

ज़िन्दगी जैसी तमन्ना थी नहीं कुछ कम है हर घड़ी होता है एहसास कहीं कुछ कम है घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है अपने नक़्शे के मुताबिक़ ये ज़मीं कुछ कम है बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी दिल में उम्मीद तो काफ़ी है यक़ीं कुछ कम है अब जिधर देखिये लगता है कि इस दुनिया में कहीं कुछ चीज़ ज़ियादा है कहीं कुछ कम है आज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबब ये अलग बात कि पहली सी नहीं कुछ कम है ©Deepbodhi

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