कुछ व्यक्ति कभी कभी दोगलेपन की हद पार कर देते हैं।
स्वार्थ के वशीभूत होकर कभी मीठे, तो काम न होने पर
ज़हरीले वाणों की वर्षा कर देते हैं।
अपने पद की गरिमा को भूलकर, अहंकारवश
दूसरों को नीचा दिखाने का आगाज़ कर देते हैं।
पैसे की भूख से अपने आदर्शों को ताक पर रखकर,
संबंधों की नज़ाकत भूलकर टकराव पैदा कर देते हैं।
अपनी पद प्रतिष्ठा के अभिमान से, दूसरों को नीचा
और खुद को सर्वोपरि समझने की भूल कर बैठते हैं।
कर्मों का चक्र कब उनको नीचे गिराकर, विरोधी को ऊपर
पहुंचा देगा इसे न समझने की भूल कर बैठते हैं।
कुछ व्यक्ति अपने ही कुकर्मों के जाल में फंस बैठते हैं।
©Abha Jain
मुखौटा पहने हुए दोगले लोग।
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