खुशियों ने शहर की सबसे ऊंची इमारत से कूद कर खुदकुशी कर ली है,
घर की दीवारों पर, छोटे सूराख बन गए है, जब तुम नहीं होते, उन सूराखों से बरसात में लहू रिसने लगता है,
चिड़ियों ने मौन व्रत धारण कर लिया है, पेड़ पैदल ही शहरों से दूर जंगल निकल गए है,
बहुत ज्यादा कोहरा चारों ओर दिखने लगा है, मानो आसमान से रूठ कर बादल जमीन पर आ गए हो,
तारों और चांद के बीच आंख - मिचौली खेलते हुए चांद जाने कहां छुप गया है,
तेरे इंतज़ार में, घर में रखी आखिरी मोमबत्ती भी जल कर आधी चुकी है,
नींद बिस्तर से नाराज़ है, हम जागते रहे और रात थक कर सो चुकी है,
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©Rahul Badola
#Lights