White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 43) में आपका स्वागत है!
शिखा लंबी सांस खींचकर, ओ.......!शब्द के साथ अपने दिल को सुकून देती है!
और फिर नंदू से बोलती है, खाना तैयार हो गया है,चलिए खाना खा लीजिए! नंदू वेगैर कुछ बोले हुए हाथ धोने चला जाता है!
कुछ देर में सीखा खाना लेकर आती है!खाने में काफी कुछ था, वर्णन करना मुश्किल हो रहा है!
खाना खाने के बाद नंदू अपने क्वार्टर के तरफ चल देता है!
सीखा पीछे से आवाज लगाती है, शाम को भी आकर खाना खा लीजिएगा , क्वार्टर बदलने में बहुत समय लगता है!
नंदू शिखा के तरफ देखते हुए, इशारा से हाँ कहता है ,और फिर चलने लगता है!
शिखा अपने दरवाजे पे खड़ी होकर, नंदू को देखती रहती है, धीरे-धीरे नंदू उसके आंखों के सामने से ओझल हो जाता है!
नंदू,शाम तक अपना सामान, एक-एक करके लाता है, और नए क्वार्टर को नया रूप देता है!
वह इतना थक जाता है, जैसे वह मिलो दूर से, पैदल चलकर आया हो!...
©writer Ramu kumar
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