"जिंदगी तेरे सफर में मैंने इतना जाना है
खत्म होकर के फिर शुरू होता एक नया फसाना है
जिन उम्मीदों से हम दिसंबर को अलविदा कर रहे हैं
उन्ही उम्मीदों को पूरा करने के लिए
फिर मुझे मुसाफिर बनकर ....
तेरे सफर -ऐ-जिंदगी पर चलते जाना है
अलविदा दिसंबर ......मुझे बस अब आगे बढ़ते जाना है!!!"