White हां मैं बारिश हूं यहां हर कोई मुझे अपने हि | हिंदी कविता

"White हां मैं बारिश हूं यहां हर कोई मुझे अपने हिसाब से कहता है किसान मुझे ईश्वरीय वरदान कहता है जवान मुझे मां के समान कहता है नन्हा बालक मुझे बिन बुलाया मेहमान कहता है पनघट मुझे अपना हसीन मुस्कान कहता है हां मैं बारिश हूं....... वियोगी प्रेमी मुझे अपनी आंसुओं का बौछार कहता है संयोगी प्रेमी मुझे अपनी प्रेमिका के समान कहता है ऊंचे महलों वाला मुझे तूफान कहता है बिल में रहने वाला मुझे अनजान कहता है हां मैं बारिश हूं... बाग बगिया मुझे अपनी शान कहता है परो के भीग जाने के कारण खग मुझे अपना अपमान कहता है कवि मुझे बांसुरी की सुर तान कहता है संगीतकार मुझे आषाढ़ सावन का गान कहता है हां मैं बारिश हूं......... गांव का खेत खलिहान मुझे समझादार कहता है शहर का छत मुझे गवार कहता है घाटों की सीढ़ियां मुझे पायल की झंकार कहता है और बनारस का हर कोई मुझे अलग अंदाज कहता है हां मैं बारिश हूं...... ©साइबेरियन"

 White 

हां मैं बारिश हूं यहां हर कोई मुझे अपने हिसाब से कहता है
किसान मुझे ईश्वरीय वरदान कहता है 
जवान मुझे मां के समान कहता है 
नन्हा बालक मुझे बिन बुलाया मेहमान कहता है
 पनघट मुझे अपना हसीन मुस्कान कहता है 
हां मैं बारिश हूं.......

वियोगी प्रेमी मुझे अपनी आंसुओं का बौछार कहता है
 संयोगी प्रेमी मुझे अपनी प्रेमिका के समान कहता है
 ऊंचे महलों वाला मुझे तूफान कहता है
 बिल में रहने वाला मुझे अनजान कहता है 
हां मैं बारिश हूं...

बाग बगिया मुझे अपनी शान कहता है 
परो के भीग जाने के कारण खग मुझे अपना अपमान कहता है 
कवि मुझे बांसुरी की सुर तान कहता है 
संगीतकार मुझे आषाढ़ सावन का गान कहता है 
हां मैं बारिश हूं.........

गांव का खेत खलिहान मुझे समझादार कहता है
 शहर का छत मुझे गवार कहता है 
घाटों की सीढ़ियां मुझे पायल की झंकार कहता है
 और बनारस का हर कोई मुझे अलग अंदाज कहता है 
हां मैं बारिश हूं......

©साइबेरियन

White हां मैं बारिश हूं यहां हर कोई मुझे अपने हिसाब से कहता है किसान मुझे ईश्वरीय वरदान कहता है जवान मुझे मां के समान कहता है नन्हा बालक मुझे बिन बुलाया मेहमान कहता है पनघट मुझे अपना हसीन मुस्कान कहता है हां मैं बारिश हूं....... वियोगी प्रेमी मुझे अपनी आंसुओं का बौछार कहता है संयोगी प्रेमी मुझे अपनी प्रेमिका के समान कहता है ऊंचे महलों वाला मुझे तूफान कहता है बिल में रहने वाला मुझे अनजान कहता है हां मैं बारिश हूं... बाग बगिया मुझे अपनी शान कहता है परो के भीग जाने के कारण खग मुझे अपना अपमान कहता है कवि मुझे बांसुरी की सुर तान कहता है संगीतकार मुझे आषाढ़ सावन का गान कहता है हां मैं बारिश हूं......... गांव का खेत खलिहान मुझे समझादार कहता है शहर का छत मुझे गवार कहता है घाटों की सीढ़ियां मुझे पायल की झंकार कहता है और बनारस का हर कोई मुझे अलग अंदाज कहता है हां मैं बारिश हूं...... ©साइबेरियन

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