पंद्रह अगस्त का दिन कहता है आजादी अभी न पूरी है कु | English Poetry

"पंद्रह अगस्त का दिन कहता है आजादी अभी न पूरी है कुछ ख्वाब जो उसने देखे हैं उसमें हालातों की मजबूरी है संसद जैसी पवित्र जगह पर बस हिंदू - मुस्लिम का ताना है ना शब्दों की कोई गरिमा है न लहजों का अफसाना है लाल किला भी सोच रहा आखिर आजादी किस ओर चली संसद जो की नई बनी वो भी क्या मुंह मोड़ चली देश में बेरोजगारों का न कोई ठौर ठिकाना है सरकारों में बस बहस चल रही यूंही बस तारीखों का आना - जाना है ©Anushka Tripathi"

 पंद्रह अगस्त का दिन कहता है
आजादी अभी न पूरी है
कुछ ख्वाब जो उसने देखे हैं
उसमें हालातों की मजबूरी है
संसद जैसी पवित्र जगह पर
बस हिंदू - मुस्लिम का ताना है
ना शब्दों की कोई गरिमा है
न लहजों का अफसाना है
लाल किला भी सोच रहा
आखिर आजादी किस ओर चली
संसद जो की नई बनी
वो भी क्या मुंह मोड़ चली
देश में बेरोजगारों का
न कोई ठौर ठिकाना है
 सरकारों में बस बहस चल रही 
यूंही बस तारीखों का आना - जाना है

©Anushka Tripathi

पंद्रह अगस्त का दिन कहता है आजादी अभी न पूरी है कुछ ख्वाब जो उसने देखे हैं उसमें हालातों की मजबूरी है संसद जैसी पवित्र जगह पर बस हिंदू - मुस्लिम का ताना है ना शब्दों की कोई गरिमा है न लहजों का अफसाना है लाल किला भी सोच रहा आखिर आजादी किस ओर चली संसद जो की नई बनी वो भी क्या मुंह मोड़ चली देश में बेरोजगारों का न कोई ठौर ठिकाना है सरकारों में बस बहस चल रही यूंही बस तारीखों का आना - जाना है ©Anushka Tripathi

#Independence #आजादी #Freedom poetry in hindi

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