गगन अदृश्य है कई मुझमे मैं खुद से मिलने का जरिया | हिंदी कविता

"गगन अदृश्य है कई मुझमे मैं खुद से मिलने का जरिया हूँ मैं इक खुली किताब आ पढ़ मुझे मैं इक बूँद मे पूरा दरिया हूँ.... ©Karanjeet Sawariyan"

 गगन अदृश्य है कई मुझमे 
मैं खुद से मिलने का जरिया हूँ 
मैं इक खुली किताब आ पढ़ मुझे 
मैं इक बूँद मे पूरा दरिया हूँ....

©Karanjeet Sawariyan

गगन अदृश्य है कई मुझमे मैं खुद से मिलने का जरिया हूँ मैं इक खुली किताब आ पढ़ मुझे मैं इक बूँद मे पूरा दरिया हूँ.... ©Karanjeet Sawariyan

मैं खुद से मिलने का जरिया हूँ....

#karanjeet_sawariyan

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