शब्दों की दरकार नहीं होती शायद,  मेरी बातों को मे

"शब्दों की दरकार नहीं होती शायद,  मेरी बातों को मेरी आंखों से समझ लेते। मेरे हर एक एहसास को अगर मेरे भावों से समझ लेते । चलो छोड़ो अगर तुम समझ ना पाए  तो एक बार मुझसे ही पूछ लेते तुमने तो खुद निर्णय कर लिया  मुझे लेकर एक नया फसाना बुन लिया । जानते हो कितने पन्ने मैंने तुम्हारी तस्वीर बनाने में बिगाड़े हैं कितने ही सपने मैंने तेरे लिए उजाडे है । आज जब ईमान की बात आई तो  फैसला सिर्फ तुम्हारा ही रह गया। न जाने कब तुम्हारे अंदर यह अहम का भाव आ गया। होता है वैचारिक मतभेद कभी-कभी,  लेकिन तुमने पूरा रिश्ता है तोड़ लिया। ©Divya Gupta"

 शब्दों की दरकार नहीं होती शायद,

 मेरी बातों को मेरी आंखों से समझ लेते।

मेरे हर एक एहसास को अगर मेरे भावों से समझ लेते ।

चलो छोड़ो अगर तुम समझ ना पाए 

तो एक बार मुझसे ही पूछ लेते

तुमने तो खुद निर्णय कर लिया

 मुझे लेकर एक नया फसाना बुन लिया ।

जानते हो कितने पन्ने मैंने तुम्हारी तस्वीर बनाने में बिगाड़े हैं कितने ही सपने मैंने तेरे लिए उजाडे है ।

आज जब ईमान की बात आई तो 

फैसला सिर्फ तुम्हारा ही रह गया।

न जाने कब तुम्हारे अंदर यह अहम का भाव आ गया।

होता है वैचारिक मतभेद कभी-कभी, 

लेकिन तुमने पूरा रिश्ता है तोड़ लिया।

©Divya Gupta

शब्दों की दरकार नहीं होती शायद,  मेरी बातों को मेरी आंखों से समझ लेते। मेरे हर एक एहसास को अगर मेरे भावों से समझ लेते । चलो छोड़ो अगर तुम समझ ना पाए  तो एक बार मुझसे ही पूछ लेते तुमने तो खुद निर्णय कर लिया  मुझे लेकर एक नया फसाना बुन लिया । जानते हो कितने पन्ने मैंने तुम्हारी तस्वीर बनाने में बिगाड़े हैं कितने ही सपने मैंने तेरे लिए उजाडे है । आज जब ईमान की बात आई तो  फैसला सिर्फ तुम्हारा ही रह गया। न जाने कब तुम्हारे अंदर यह अहम का भाव आ गया। होता है वैचारिक मतभेद कभी-कभी,  लेकिन तुमने पूरा रिश्ता है तोड़ लिया। ©Divya Gupta

#Dosti

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