R k .........सीता माता सी कोई नहीं....... iccha
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राधा बनने को सब चाहे माता सीता सी कोई नहीं ।
सब कृष्ण के प्रेम में भटक रही संग रोम के वन में कोई नही ।।
ये क्यों कहते हैं धोका खा गई रो - रो वक़्त गुज़ार रही ।
सब ढुंढ़ती रही है राजभवन सीता सा वन पथ कोई नहीं ।
फिर कहां मिलेगा सत्य प्रेम जो कर्तव्यों से जूझी नहीं ।
वो जनक सुता महलों की ज्योति वन आकर भी बूझी नहीं ।।
बीता दिया कांटों में जीवन फिर भी लंका की हुई नहीं ।
राम हुए बस सीता के ..... वो और किसी की हुई नहीं ।
राधा बनने को सब चाहे माता सीता सी कोई नहीं ।
सब कृष्ण के प्रेम में भटक रही संग रोम के वन में कोई नही ।।
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