फिर वह उत्सव आया प्यारा।
लेना होगा उन्हें सहारा।।
घर-घर जाकर करने विनती।
हम ही जीतें करने मिनती।।
अब तक जो ना लाँघे चौकट।
दौड़ लगाए घर-घर फौकट।।
एक वोट की कीमत देने।
हम सबकी वह खबरें लेने।।
©Bharat Bhushan pathak
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