मुल्क की तकदीर की उम्मीद आजकल के सियास्तदां से क | हिंदी शायरी

"मुल्क की तकदीर की उम्मीद आजकल के सियास्तदां से करना बेईमानी हैं कोई हिन्दू है ,तो कोई मुस्लिम है यहाँ के बाशिन्दे कौन कहता है कि,वह दिलोजान से हिन्दोस्तानी है ©Kamlesh Kandpal"

 मुल्क की तकदीर की उम्मीद 
आजकल के  सियास्तदां से करना बेईमानी हैं 
कोई हिन्दू है ,तो कोई मुस्लिम है यहाँ के  बाशिन्दे 
कौन कहता है कि,वह दिलोजान से हिन्दोस्तानी है

©Kamlesh Kandpal

मुल्क की तकदीर की उम्मीद आजकल के सियास्तदां से करना बेईमानी हैं कोई हिन्दू है ,तो कोई मुस्लिम है यहाँ के बाशिन्दे कौन कहता है कि,वह दिलोजान से हिन्दोस्तानी है ©Kamlesh Kandpal

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