मैं तेरे इश्क़ में खुद को भूला बैठा हूँ , दुनिया क | हिंदी शायरी

"मैं तेरे इश्क़ में खुद को भूला बैठा हूँ , दुनिया को छोड़ तुझे ही दुनिया मान बैठा हूँ ; आगाज़ तो हो गया है अंजाम तक पहुंचना है ! तुझको पाना ही अपनी जिंदगी का मकसद मान बैठा हूँ !! इश्क के लिए जीना है , इश्क़ के लिए मरना है , इश्क़ पे सबकुछ निसार है , मुझे इश्क़ में ही रहना है !! सच ही तो कहते हैं , हर लगी से बढ़कर है दिल की लगी खाक हो जाती है दुनिया , जब जब सुलगती है दिल्लगी ©SSR ZIDDI RAJPUT"

 मैं तेरे इश्क़ में खुद को  भूला बैठा हूँ ,
दुनिया को छोड़ तुझे ही दुनिया मान बैठा हूँ  ;
आगाज़ तो हो गया है अंजाम तक पहुंचना है  !
तुझको पाना ही अपनी जिंदगी का मकसद मान बैठा हूँ !!

 इश्क के लिए जीना है , 
इश्क़ के लिए मरना है  , 
इश्क़ पे सबकुछ निसार  है , 
मुझे इश्क़ में ही रहना है !!

सच ही तो कहते हैं , 
हर लगी से बढ़कर है  दिल की लगी
खाक हो जाती है दुनिया , 
जब जब सुलगती है दिल्लगी

©SSR ZIDDI RAJPUT

मैं तेरे इश्क़ में खुद को भूला बैठा हूँ , दुनिया को छोड़ तुझे ही दुनिया मान बैठा हूँ ; आगाज़ तो हो गया है अंजाम तक पहुंचना है ! तुझको पाना ही अपनी जिंदगी का मकसद मान बैठा हूँ !! इश्क के लिए जीना है , इश्क़ के लिए मरना है , इश्क़ पे सबकुछ निसार है , मुझे इश्क़ में ही रहना है !! सच ही तो कहते हैं , हर लगी से बढ़कर है दिल की लगी खाक हो जाती है दुनिया , जब जब सुलगती है दिल्लगी ©SSR ZIDDI RAJPUT

#morningcoffee

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