"शैलपुत्री ■
शैलराज पुत्री रूप में हुआ प्राकट्य है ।
शैलपुत्री जीवन को तिमिर से तार दे ।।
भ्रांत पड़े इस मन को देवी माँ शांत कर ।
बायें हाथ में कमल शांति का ही सार दे ।।
हौसला कभी भी जब बढ़ने लगे दुष्टों का ।
दायें हाथ में त्रिशूल दुष्टों को संहार दे ।।
नवरात्रि पर्व की यह प्रथम है अर्चना ।
हमको भी मैया भवसागर से तार दे ।।
©Shubhanshi Shukla
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