White जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा
तस्वीर में नहीं, अपने पास में
तेरी आवाज़ जाए
सबसे पहले कानो में
जागू तो मिले उंगलियां
तेरे बालो में उलझी हुई
जिन्हें सहलाते हुए
रात मुझे नींद आ गई थी
जीवन की कुछ इच्छाओं में
एक इच्छा ये भी है।
बाहर निकल कर कमरे से
तेरे हाथ की चाय मिले
चीनी हो उसमें थोड़ी
थोड़ी प्रेम की मिठास हो
संवरने लगे जाने को ऑफिस
मैं देखु तुझे संवरते हुए
दराज़ से निकाले तू झुमके
मैं पहना दु अपने हाथों से
जीवन की कुछ इच्छाओं में
एक इच्छा ये भी है।
मैं सारा दिन घर रहकर
प्रेम की किताबें लिखू
शाम को घर आते ही
चाय तुझे तैयार मिले
थकान मिटाने दिन भर की
घर आते ही गले लगे
फ़िर हम दोनों साथ बैठकर
वो प्यार से बनी चाय पीये
जीवन की कुछ इच्छाओं में
एक इच्छा ये भी है।
©Sawan Sharma
जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा
तस्वीर में नहीं, अपने पास में
तेरी आवाज़ जाए
सबसे पहले कानो में
जागू तो मिले उंगलियां
तेरे बालो में उलझी हुई
जिन्हें सहलाते हुए
रात मुझे नींद आ गई थी