विश्वयोगदिवसस्य कोटिशः शुभकामनाः तत्रैकाग्रं मनः

"विश्वयोगदिवसस्य कोटिशः शुभकामनाः तत्रैकाग्रं मनः कृत्वा यतचित्तेन्द्रियक्रियः । उपविश्यासने युञ्ज्याद्योगमात्मविशुद्धये ॥ भावार्थ : उस आसन पर बैठकर चित्त और इन्द्रियों की क्रियाओं को वश में रखते हुए मन को एकाग्र करके अन्तःकरण की शुद्धि के लिए योग का अभ्यास करे। संस्कृतं मम जीवनध्येयम्"

 विश्वयोगदिवसस्य कोटिशः शुभकामनाः 

तत्रैकाग्रं मनः कृत्वा यतचित्तेन्द्रियक्रियः ।
उपविश्यासने युञ्ज्याद्योगमात्मविशुद्धये ॥

भावार्थ : उस आसन पर बैठकर चित्त और इन्द्रियों की क्रियाओं को वश में रखते हुए मन को एकाग्र करके अन्तःकरण की शुद्धि के लिए योग का अभ्यास करे।

संस्कृतं मम जीवनध्येयम्

विश्वयोगदिवसस्य कोटिशः शुभकामनाः तत्रैकाग्रं मनः कृत्वा यतचित्तेन्द्रियक्रियः । उपविश्यासने युञ्ज्याद्योगमात्मविशुद्धये ॥ भावार्थ : उस आसन पर बैठकर चित्त और इन्द्रियों की क्रियाओं को वश में रखते हुए मन को एकाग्र करके अन्तःकरण की शुद्धि के लिए योग का अभ्यास करे। संस्कृतं मम जीवनध्येयम्

'योग फॉर वेलनेस'

#Yogaday2021 $Mahi..🙂 @Anshu writer @gudiya @Anu Tomar @Radhika sweety

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