Unsplash "मैने शादी करली" :::::::::::::::::::::::: | हिंदी क

"Unsplash "मैने शादी करली" :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: बातों ही बातों में मैने आज शादी करली। सात फेरो के रस्मो को पूरा आजादी करली।। प्राकृतिक वातावरण में सज धज। खुला अम्बर सूर्य किरण जग मग।। मानो विवाह मंडप बना हो पर्वत। हरे भरे चौकोर पेड़ पौधें हरसत।। जल जीवन को सह साक्षी मानकर। सूर्य देव पक्षीयो को ईश्वर जानकर।। चले कदम से कदम मिलाकर। आगे पाक्षे पग चले डुलाकर।। ख़ुद से ही वैदिक मंत्रोच्चारण किए। रिवाजों के नियम को पालन किए।। वसन पट सूत का वरमाला बनाएं। मंगलसूत्र समझ कन्या को पहनाए।। हर्षित पुलकित दुल्हन बलखाए। देख विधि मन मंद मंद मुस्काए।। मिट्टी का लाल भाव सिन्दूर सुहाए। लाए माथ सुहागन बन ठन इठलाए।। धाय अन्ततः शुभ आशीष शरण को। कुर्सी स्नेहिल एक दूजे के छुए चरण को।। पति पत्नी अब बने सुन्दर जोड़ी। एक शिवा तो दूजा गौरा गुणी गोरी।। हुईं रात्रि विश्राम धाय दोनों धामा। बेला मिलन की आई सुहागरात रामा।। एकदम अनाड़ी दूल्हा दुल्हन बुद्धि विवेकी। ऑनलाइन हुआ प्रेम प्रदर्शन मिलन मुंह सेकी।। स्वरचित -: प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi"

 Unsplash "मैने शादी करली"
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बातों ही बातों में मैने आज शादी करली।
सात फेरो के रस्मो को पूरा आजादी करली।।

प्राकृतिक वातावरण में सज धज।
खुला अम्बर सूर्य किरण जग मग।।

मानो विवाह मंडप बना हो पर्वत।
हरे भरे चौकोर पेड़ पौधें हरसत।।

जल जीवन को सह साक्षी मानकर।
सूर्य देव पक्षीयो को ईश्वर जानकर।।

चले कदम से कदम मिलाकर।
आगे पाक्षे पग चले डुलाकर।।

ख़ुद से ही वैदिक मंत्रोच्चारण किए।
रिवाजों के नियम को पालन किए।।

वसन पट सूत का वरमाला बनाएं।
मंगलसूत्र समझ कन्या को पहनाए।।

हर्षित पुलकित दुल्हन बलखाए।
देख विधि मन मंद मंद मुस्काए।।

मिट्टी का लाल भाव सिन्दूर सुहाए।
लाए माथ सुहागन बन ठन इठलाए।।

धाय अन्ततः शुभ आशीष शरण को।
कुर्सी स्नेहिल एक दूजे के छुए चरण को।।

पति पत्नी अब बने सुन्दर जोड़ी।
एक शिवा तो दूजा गौरा गुणी गोरी।।

हुईं रात्रि विश्राम धाय दोनों धामा।
बेला मिलन की आई सुहागरात रामा।।

एकदम अनाड़ी दूल्हा दुल्हन बुद्धि विवेकी।
ऑनलाइन हुआ प्रेम प्रदर्शन मिलन मुंह सेकी।।

स्वरचित -: प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi

Unsplash "मैने शादी करली" :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: बातों ही बातों में मैने आज शादी करली। सात फेरो के रस्मो को पूरा आजादी करली।। प्राकृतिक वातावरण में सज धज। खुला अम्बर सूर्य किरण जग मग।। मानो विवाह मंडप बना हो पर्वत। हरे भरे चौकोर पेड़ पौधें हरसत।। जल जीवन को सह साक्षी मानकर। सूर्य देव पक्षीयो को ईश्वर जानकर।। चले कदम से कदम मिलाकर। आगे पाक्षे पग चले डुलाकर।। ख़ुद से ही वैदिक मंत्रोच्चारण किए। रिवाजों के नियम को पालन किए।। वसन पट सूत का वरमाला बनाएं। मंगलसूत्र समझ कन्या को पहनाए।। हर्षित पुलकित दुल्हन बलखाए। देख विधि मन मंद मंद मुस्काए।। मिट्टी का लाल भाव सिन्दूर सुहाए। लाए माथ सुहागन बन ठन इठलाए।। धाय अन्ततः शुभ आशीष शरण को। कुर्सी स्नेहिल एक दूजे के छुए चरण को।। पति पत्नी अब बने सुन्दर जोड़ी। एक शिवा तो दूजा गौरा गुणी गोरी।। हुईं रात्रि विश्राम धाय दोनों धामा। बेला मिलन की आई सुहागरात रामा।। एकदम अनाड़ी दूल्हा दुल्हन बुद्धि विवेकी। ऑनलाइन हुआ प्रेम प्रदर्शन मिलन मुंह सेकी।। स्वरचित -: प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi

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