सब पढ़ते कहाँ जो
सबको नौकरियाँ मिले
बेवजह रहते कालेजों में
झंडे और तख्तियां लिए
समझते खुद को ठगते नहीं
अभिभावक से पटते नहीं
मोहरें बन नेताओं के हटते नहीं
कभी किताबें को वो रटते नहीं
फिर क्या करे शिक्षक और
उनके अभिभावक जन
मर्ज ऐसी है कि कभी
रूकेगी नहीं कदाचार
दोषी है तो सिर्फ सरकार है
जनता अपने स्वभावों से
बिल्कुल है लाचार ...
©प्रमोद मिश्र "भागलपुरी"
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