धरा को प्रदूषण मुक्त करना होगा।
नहीं तो आयु से पहले, जहरीली वायु से मरना होगा।
हे मानव दुष्परिणाम बड़ा भयंकर होगा।
धरा पर चारों ओर संकट बड़ा प्रलयंकर होगा।
बच न पाएगा कोई भी संपदा।
प्रकृति निर्मित हो या मानव निर्मित संपदा।
सूरज के ताप से या वन्य जीवो के अभिशाप से,
या जल संकट के प्रलाप से या भूमि के विलाप से,
या मानव के क्रियाकलाप से।
नष्ट होगा ये धरा का धरोहर जिससे जीवन बना था सोहर।
बड़े-बड़े इमारत गिरेंगे।
मंदिर मस्जिद का इबादत गिरेंगे।
काम न आयेगा किसी का कर जोड़ प्रार्थना।
प्रकृति कुपित होगी तो होगी दुखित सृष्टि की आत्मा।
संभल जाओ, संभल जाओ ,समय अभी बाकी है।
संभालो पूरा धरा को कुछ समय अभी बाकी है।
©Narendra kumar
#POLLUTED_DELHI