"कविता : जय! जय! गणतंत्र हमारा।"
जय! जय! गणतंत्र हमारा!
जय हो! लोकतंत्र हमारा!
विश्व का सबसे बड़ा लिखित है भारत का संविधान।
लोकतांत्रिक गणराज्य का जिसमें निहित विधान।
जय! जय!...(01)
नीति निदेशक तत्त्व निहित हैं, मूल अधिकार प्रधान।
कार्यप्रणाली संसदीय और केंद्र अभिमुख संविधान।
जय! जय!....(02)
समिधा, बलिवेदी की बनकर जिन्होंने त्यागे प्राण,
और गुलामी की जंजीरें तोड़ किया परित्राण।
जय! जय!...(03)
दुःख के तम को काट हुआ आशा का नव्य विहान,
श्रद्धा-सुमन करे हम अर्पण और करें गुणगान।
जय! जय!...(04)
न्यायपालिका है स्वतंत्र, और वयस्क को मतदान,
कर्तव्यों व आपातकाल का इसमें है प्रावधान।
जय! जय!....(05)
नम्यता व अनम्यता का अद्भुत मिश्रण है शान,
प्रभुता सम्पन्न, समाजवादी, निरपेक्ष पंथ की खान।
जय! जय!...(06)
एकल नागरिकता है इसमें, शासन संघ महान,
संसदात्मक प्रजातंत्र का रखा है इसमें ध्यान।
जय! जय!...(07)
भारत के संविधान की है अति विशाल प्रतान,
ज्ञान और विज्ञान प्रपूरित थे वो व्यक्ति सुजान।
जय! जय!...(08)
खून-पसीने से सिंचित कर दिया हमें संविधान,
दंभ और विद्वेष भुलाकर आओ करें गुणगान।
जय! जय!...(09)
जय! जय! गणतंत्र हमारा!
जय हो! लोकतंत्र हमारा!
-शैलेन्द्र राजपूत
उन्नाव, उत्तर-प्रदेश
(#हिंदी_साहित्य_सागर)
©HINDI SAHITYA SAGAR
"कविता : जय! जय! गणतंत्र हमारा।"
जय! जय! गणतंत्र हमारा!
जय हो! लोकतंत्र हमारा!
विश्व का सबसे बड़ा लिखित है भारत का संविधान।
लोकतांत्रिक गणराज्य का जिसमें निहित विधान।
जय! जय!...(01)