White कल ख्वाब में देखा पानी को।
बूँद-बूँद थी ठहर-ठहर।
रुके-रुके, बादल-बादल।
नदियाँ सारी झील-झील।
स्थिर हुए निर्झर-निर्झर।
जल की अस्थिरता खत्म हुई
वेगहीन हुई धाराएं,
उद्गमित होने लगी धारणाएं।
यक्ष प्रश्न : जल तंत्र स्थिर क्यों है?
जनतंत्र अस्थिर क्यों हैं?
प्रत्युत्तर दे रहे थे फरिश्ते।
फ़रिश्ते: "रिश रिश के रिश रहे हैं रिश्ते"।
©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"
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