अजब लिखूं गजब लिखूं या मै कुछ सहज लिखूं..
जो खा रहे हैं देश को उनका क्या मज़हब लिखूं..
उनकी हाँ में हाँ करूं या हाल ए दिल बयां करूं..
वो ख़ुश रहें जिस बात में वो बात ऐसी क्या करूं..
विफल हुए तो क्या हुए सफल हुए तो क्या हुए..
सब हाथ सेंकते रहे जल जल के हम धुआँ हुए..
तन्हाईयां बस साथ हैं ना कोई आस पास है..
फ़िर याद कोई आया है और मन बहुत उदास है..
©Akhilesh dubey
#KhulaAasman