White *प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप | हिंदी भक्ति

"White *प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं* भक्तिभाव से हृदय भरे अनमोल सीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं सत्य धर्म का प्रचार है सनातन का विस्तार है समस्त सृष्टि की चेतना मनुज जीवन आधार है जम्बूद्वीप से दिव्य न अन्य महाद्वीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप है पावन नदियों का संगम महाकुंभ दृश्य विहंगम सजे अखाड़े अति सुन्दर यहां मिटे सबका हर गम त्रिवेणी के तट पर झुकते सभी महीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं यह सनातन का अभिमान है हम सभी की पहचान है अमृत बूँद यहीं पर गिरी भगवान का वरदान है ज्ञान पुंज के समान आए बहु प्रदीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं त्रिवेणी में करने स्नान आते सभी संत महान त्रिवेणी में डुबकी लगा मोक्ष का पाते वरदान शिविर संतों के लगे कगार के समीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari"

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     *प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं*

भक्तिभाव से हृदय भरे अनमोल सीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं

सत्य धर्म का प्रचार है 
सनातन का विस्तार है 
समस्त सृष्टि की चेतना
मनुज जीवन आधार है

जम्बूद्वीप से दिव्य न अन्य महाद्वीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप है

पावन नदियों का संगम
महाकुंभ दृश्य विहंगम 
सजे अखाड़े अति सुन्दर 
यहां मिटे सबका हर गम

त्रिवेणी के तट पर झुकते सभी महीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं

यह सनातन का अभिमान है 
हम सभी की पहचान है 
अमृत बूँद यहीं पर गिरी
भगवान का वरदान है

ज्ञान पुंज के समान आए बहु प्रदीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं

त्रिवेणी में करने स्नान 
आते सभी संत महान 
त्रिवेणी में डुबकी लगा
मोक्ष का पाते वरदान

शिविर संतों के लगे कगार के समीप हैं 
प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं।

        स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                         उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

White *प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं* भक्तिभाव से हृदय भरे अनमोल सीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं सत्य धर्म का प्रचार है सनातन का विस्तार है समस्त सृष्टि की चेतना मनुज जीवन आधार है जम्बूद्वीप से दिव्य न अन्य महाद्वीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप है पावन नदियों का संगम महाकुंभ दृश्य विहंगम सजे अखाड़े अति सुन्दर यहां मिटे सबका हर गम त्रिवेणी के तट पर झुकते सभी महीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं यह सनातन का अभिमान है हम सभी की पहचान है अमृत बूँद यहीं पर गिरी भगवान का वरदान है ज्ञान पुंज के समान आए बहु प्रदीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं त्रिवेणी में करने स्नान आते सभी संत महान त्रिवेणी में डुबकी लगा मोक्ष का पाते वरदान शिविर संतों के लगे कगार के समीप हैं प्रयागराज में जले सहस्त्र दिव्य दीप हैं। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

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