"मुझे तुमसे बातें करना बहुत पसंद था,
पर मैंने तुम्हारी खुशी खातिर चुना ख़ामोशी।
बहुत सी बातें रहती थी मेरे पास तुमसे कहने को
औऱ वो सारी बातें बेधड़क कहता भी था तुमसे।
इतनी बातें होते हुए भी हमारे बीच छा गयी एक
गहरी खामोशी,जिसे तुम्हारी ख़ुशी के लिए
मैंने बिना कुछ जिक्र किये ख़ुशी-ख़ुशी चुन लिया।
©आशुतोष यादव"