भटकता हूं मैं जब मेरी किस्मत सोती है, महफिल में त | हिंदी विचार

"भटकता हूं मैं जब मेरी किस्मत सोती है, महफिल में तो हस्ती है और अकेले में रोती है, उदास होता हूं तो खुद को समझ लेता हूं, खुश रहने की कोई दवा नहीं होती है। ©Pradeep Kumar"

 भटकता हूं मैं जब मेरी किस्मत सोती है, महफिल
 में तो हस्ती है और अकेले में रोती है, उदास
 होता हूं तो खुद को समझ लेता हूं, खुश रहने की 
कोई दवा नहीं होती है।

©Pradeep Kumar

भटकता हूं मैं जब मेरी किस्मत सोती है, महफिल में तो हस्ती है और अकेले में रोती है, उदास होता हूं तो खुद को समझ लेता हूं, खुश रहने की कोई दवा नहीं होती है। ©Pradeep Kumar

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