ऐ जिंदगी तू अभी इतनी धीमी क्यों पर रही हैं
अभी तो तेरे पूरे दौर के तिहाई में जो हूं जी लेने तो दो ,,,
सीने में दर्द दे तू मौत से मुकम्मल कराना चाहता हैं
सांसो को पल भर के लिए थाम कर
तू मुझे इस सफर में हराना चाहता हैं,,
पर मैं भी थोड़ी जिद्दी हूं तेरे सफर को अधूरा कैसे छोड़ दूँ ,
मैंने तेरे बिछाये रोड़े पर काट गुजारे है हर पल
अब इन रोड़ो को हटा लेने तो दो ,
अभी तो पूरे दौर के तिहाई में जो हूं जी लेने तो दो ,,,,
ऐ जिंदगी अभी तो घोड़े की लगाम ही लगाना सीखा हू
थोड़ी रेस में उतरकर घोड़े को दौड़ा लेने तो दो ,
अभी तो तेरे पूरे दौर के तिहाई में हूं जी लेने तो दो,,,
©Manish Kumar gupta
जिंदगी,,,