White मैं नहीं कोई और सही पर कोई एक हसीन ख्वाब हो | हिंदी शायरी

"White मैं नहीं कोई और सही पर कोई एक हसीन ख्वाब हो आप । जो जरा से नज़ाकत से पढ़े तो सारा पढ़ जाए ऐसी खुली किताब हो आप ।। मैं और मेरा अल्हड़पन काबिल नहीं इस प्यार के, मैं मूर्ख क्या जानूं होते हैं अनेक रूप श्रृंगार के ।। जिन हृदय पर हो सेज फूलों की, मैं मूर्ख शूल बिछाए देता हूं । जिन आंखों में हो प्रेम बस उन आंखों से बरसात कराए देता हूं ।। मैं बड़बोला बरसाती मेढक, मैं क्या जानूं श्रावण का श्रृंगार ।। जिसे असुरक्षा, भय और ईर्ष्या ने घेरा, वो क्या जाने होता है क्या प्यार ।। ©"Vibharshi" Ranjesh Singh"

 White मैं नहीं कोई और सही 
पर कोई एक हसीन ख्वाब हो आप ।
जो जरा से नज़ाकत से पढ़े 
तो सारा पढ़ जाए ऐसी खुली किताब हो आप ।।

मैं और मेरा अल्हड़पन काबिल नहीं इस प्यार के, 
मैं मूर्ख क्या जानूं होते हैं अनेक रूप श्रृंगार के ।।

जिन हृदय पर हो सेज फूलों की, मैं मूर्ख शूल बिछाए देता हूं ।
जिन आंखों में हो प्रेम बस उन आंखों से बरसात कराए देता हूं ।।

मैं बड़बोला बरसाती मेढक, मैं क्या जानूं श्रावण का श्रृंगार ।।
जिसे असुरक्षा, भय और ईर्ष्या ने घेरा, वो क्या जाने होता है क्या प्यार ।।

©"Vibharshi" Ranjesh Singh

White मैं नहीं कोई और सही पर कोई एक हसीन ख्वाब हो आप । जो जरा से नज़ाकत से पढ़े तो सारा पढ़ जाए ऐसी खुली किताब हो आप ।। मैं और मेरा अल्हड़पन काबिल नहीं इस प्यार के, मैं मूर्ख क्या जानूं होते हैं अनेक रूप श्रृंगार के ।। जिन हृदय पर हो सेज फूलों की, मैं मूर्ख शूल बिछाए देता हूं । जिन आंखों में हो प्रेम बस उन आंखों से बरसात कराए देता हूं ।। मैं बड़बोला बरसाती मेढक, मैं क्या जानूं श्रावण का श्रृंगार ।। जिसे असुरक्षा, भय और ईर्ष्या ने घेरा, वो क्या जाने होता है क्या प्यार ।। ©"Vibharshi" Ranjesh Singh

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