White बरसात तो फेवरेट subject है अभी और काम करना | हिंदी Poetry

"White बरसात तो फेवरेट subject है अभी और काम करना है इस प्रोजेक्ट पे साथियों याद ना दिलाओ मुझे बरसात की गुल से तितली की गुफ़्तगू होगी बात से बात होगी फ़िर बात निकल जाएगी राज़ की वो बरसात भी क्या बरसात थी उससे जब हुई पहली मुलाक़ात थी आरज़ूए ले कर चल रहा था तराज़ू मैं कदम फिसला फ़िर तमाम तमन्ना आज़ाद थी यहाँ बारिश वहां बारिश जहाँ देखो थी जहाँ तहाँ बारिश मैं भी करीब चला गया थी बेहद तन्हा बारिश और फ़िर जो टूट के बरसा सावन अब क्या बयां करूँ थी किस कदर बारिश लगता था ऐसे जैसे तपती ज़मीं ने मांगी हो बड़ी हसरतो से बारिश क़ैस भीगा महीन कतरो की अदालत मे मुंसिफ बनी बारिश सारे ग़म ही कर गई खारिज इतने मे इंद्रधनुष के जीने से उतर आई इक परी सब्ज़ा हो गए सब्ज़ ओ बाग़ और तबियत हो गई हरी सफ़ेद आसमां मे थे उड़ते हुए काले बादल जैसे कागज़ो पे बिखर गया हो काजल परी की बजने लगी पायल उस अदा का मैं भी हुआ कायल दिलकश सर्द कतरो के तीर जो लगे तो हो ही गया घायल पहले तो इतनी दीवानगी नहीं थी हाँ पेश्तर इतनी हैरानगी नहीं थी चहलकदमी तो पहले भी किया करते थे लेकिन पहले ऐसी रवानगी नहीं थी ©qais majaz,dark"

 White बरसात तो फेवरेट subject है 
अभी और काम करना है इस प्रोजेक्ट पे साथियों 
याद ना दिलाओ मुझे बरसात की गुल से तितली की गुफ़्तगू 
होगी बात से बात होगी फ़िर बात निकल जाएगी राज़ की 
वो बरसात भी क्या बरसात थी 
उससे जब हुई पहली मुलाक़ात थी 
आरज़ूए ले कर चल रहा था तराज़ू मैं 
कदम फिसला फ़िर तमाम तमन्ना आज़ाद थी 
यहाँ बारिश वहां बारिश जहाँ देखो थी जहाँ तहाँ बारिश 
मैं भी करीब चला गया थी बेहद तन्हा बारिश 
और फ़िर जो टूट के बरसा सावन 
अब क्या बयां करूँ थी किस कदर बारिश 
लगता था ऐसे जैसे तपती ज़मीं ने 
मांगी हो बड़ी हसरतो से बारिश 
क़ैस भीगा महीन कतरो की अदालत मे 
मुंसिफ बनी बारिश सारे ग़म ही कर गई खारिज 
इतने मे इंद्रधनुष के जीने से उतर आई इक परी 
सब्ज़ा हो गए सब्ज़ ओ बाग़ और तबियत हो गई हरी 
सफ़ेद आसमां मे थे उड़ते हुए काले बादल 
जैसे कागज़ो पे बिखर गया हो काजल 
परी की बजने लगी पायल उस
अदा का मैं भी हुआ कायल 
दिलकश सर्द कतरो के तीर जो लगे 
तो हो ही गया घायल पहले तो इतनी दीवानगी नहीं थी 
हाँ पेश्तर इतनी हैरानगी नहीं थी 
चहलकदमी तो पहले भी किया करते थे 
लेकिन पहले ऐसी रवानगी नहीं थी

©qais majaz,dark

White बरसात तो फेवरेट subject है अभी और काम करना है इस प्रोजेक्ट पे साथियों याद ना दिलाओ मुझे बरसात की गुल से तितली की गुफ़्तगू होगी बात से बात होगी फ़िर बात निकल जाएगी राज़ की वो बरसात भी क्या बरसात थी उससे जब हुई पहली मुलाक़ात थी आरज़ूए ले कर चल रहा था तराज़ू मैं कदम फिसला फ़िर तमाम तमन्ना आज़ाद थी यहाँ बारिश वहां बारिश जहाँ देखो थी जहाँ तहाँ बारिश मैं भी करीब चला गया थी बेहद तन्हा बारिश और फ़िर जो टूट के बरसा सावन अब क्या बयां करूँ थी किस कदर बारिश लगता था ऐसे जैसे तपती ज़मीं ने मांगी हो बड़ी हसरतो से बारिश क़ैस भीगा महीन कतरो की अदालत मे मुंसिफ बनी बारिश सारे ग़म ही कर गई खारिज इतने मे इंद्रधनुष के जीने से उतर आई इक परी सब्ज़ा हो गए सब्ज़ ओ बाग़ और तबियत हो गई हरी सफ़ेद आसमां मे थे उड़ते हुए काले बादल जैसे कागज़ो पे बिखर गया हो काजल परी की बजने लगी पायल उस अदा का मैं भी हुआ कायल दिलकश सर्द कतरो के तीर जो लगे तो हो ही गया घायल पहले तो इतनी दीवानगी नहीं थी हाँ पेश्तर इतनी हैरानगी नहीं थी चहलकदमी तो पहले भी किया करते थे लेकिन पहले ऐसी रवानगी नहीं थी ©qais majaz,dark

#good_night

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