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"लेकिन वो हर बार की तरह मेरा वहम निकला वहां कोई नहीं था सिवाय सन्नाटे के और फिर में अकेला ही चल पड़ा इस इंतज़ार में कि कभी तो ये वहम सच में बदलेगा कभी मेरे पलटकर देखने पर कोई अपना नज़र आएगा मुस्कुराकर मेरा हम कदम बन जायेगा ©Rakhee ki kalam se "
लेकिन वो हर बार की तरह मेरा वहम निकला वहां कोई नहीं था सिवाय सन्नाटे के और फिर में अकेला ही चल पड़ा इस इंतज़ार में कि कभी तो ये वहम सच में बदलेगा कभी मेरे पलटकर देखने पर कोई अपना नज़र आएगा मुस्कुराकर मेरा हम कदम बन जायेगा ©Rakhee ki kalam se
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