तुझपे भी कोई गीत मैं लिख दूँ कैसी है तू मीत ये लिख दूँ
पर लिखने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ या इश्क़ मुझे ना हो जाए
तेरी काले लम्बे केषु की और नशीली नयनों की
तेरी मस्त मस्त सी आँखों पर हया समेटी पलकों की
तेरी भाल पे सजती बिंदी की और रसीली होठों की
तेरे कोमल कोमल गालों की और मनमोहक सी सूरत की
देख जिसे मन मोह जाए और इश्क़ हृदय मे जग जाए
मैं उसका वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ
पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए
तेरी कान मे सजती कुंडल की, पैरों मे छनकती पायल की
तेरी नाक मे सजती नाथीया की, हाथों मे खनकते कंगन की
तेरी बदन सजती काली तिल और उनसे बनते गहने की
देख जिसे मन मोह जाए और इश्क़ हृदय मे जग जाए
मैं उसका वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ
पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए
तेरी प्यारी प्यारी बातों की और भाषाई संबोधन की
तेरे हृदय के अंदर हलचल की और कदर मेरे उस बंधन की
तेरी समझ लिए उन ख्वाबों की और ख्वाबों मे आलिंगन की
तेरे अंतर्मन की चाहत की और अधूरे सपनों की
पल पल मे होती मृत्यु की और खामोशी से सहने की
पर दोष मुझे ना देने की हाँ छुप कर नैन भिगोने की
हर इक का वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ
पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए
तुझपे भी कोई गीत मैं लिख दूँ कैसी है तू मीत ये लिख दूँ
पर लिखने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ या इश्क़ मुझे ना हो जाए
©रतनेश पाठक_ Protest Writer
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