रास आने लगी है मुझकौ अब तेरी बेरुखी
सुकून देती है दिल को अब तेरी तल्ख़ियां।
अब लेकर नही फिरती,
अपने दिल में तेरे प्यार का बोझ।
तोङ रही हूँ तिनका- तिनका,
तेरी यादों के गुलिस्ते को।
खोल रही हूँ वो सारे
गिरह आहिस्ता-आहिस्ता,
जो बाँधे थे कभी मन्नतों में
मंदिर की दीवारों पर।
फाङ दिए वो सारे पन्ने, जो कभी तेरे प्यार में
डूबकर लिखा करती थी।
धूमिल पङ रहे हैं, मेरी स्मृतियों में,
वो बाग,नदी का किनारा,वो हर गली वो सङक,
जो हुआ करते थे कभी हमारे प्यार के साक्षी।
फ
©Dr Archana
#sunrisesunset