देखा जो प्रताप का प्रताप हल्दी घाटी मे ,
धूल भरी ओट मे छिप गया भास्कर।
अरी दल पर मेवाडी ऐसा टूट पडा ,
काल खुद नाच रहा काल के कपाल पर।
देखा मान ने पौरुष जब महाराणा का ,
काशीवास दिख रहा मुगलिया भाल पर।
एक हाथ से ही बहलोल को चीर डाला ,
तमाचा जडा जैसे मुगलिया गाल पर ।
✍️ जितेन्द्र गौतम "इंकलाबी"🇮🇳
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