"मैं और मेरी तन्हाई"पन्द्रहवाँ भाग
मैंने तैयारी बना ली थी टूर में जाने की पर मुझे अब ये समझ नहीं आ रहा था कि यह कैसे हुआ मेरा नाम टूर जाने वाली लिस्ट में कैसे आया बस मेरे घर तक आई और मैं बस में अपनी सीट पर जाकर बैठ गया हमारे साथ दस शिक्षकों की टीम भी जा रही थी तभी आगे की सीट छोड़कर शीतल मेरे पास बगल वाली सीट पर आ गई और बस सभी बच्चों को लेते हुए हरिद्वार के लिए निकल पडी़
शीतल अपने जोक्स के पिटारे को खोले हुए थी सभी साथी खुश थे पर मैं चिंता मे डूबा हुआ था फिर उसने एक ऐसा जोक मारा मैं न चाहते हुए भी हँस पडा़ आप भी सुनना चाहेंगे वह जोक
शीतल ने कहा-एक बार तीन आदमी ट्रेन से जा रहे थे उन तीनों ने एक साइड की तीनों बर्थ बुक कराई हुई थीं तीनो रात में जब सो रहे थे तो जो सबसे ऊपर वाली बर्थ में लेटा था उसके पेट में गैस बनी थी वह भी बहुत जोर की वह उठ कर बाहर नहीं जाना चाहता था तो उसने क्या किया कि गैस छोडी़ तेज आवाज के साथ और साथ साथ बोला बादल बहुत तेज गरज रहे हैं
इसे सुनते ही जो हँसी छूटी वह रुक नहीं रही थी इस हँसी में मैं थोडी़ देर के लिए अपनी सारी चिंताएँ भूल गया था तभी आगे जाकर हमारी बस एक ढाबे में रुकी और फिर
*प्रकाश*
"मैं और मेरी तन्हाई"पन्द्रहवाँ भाग