मेरे लहजे पर तुम मत जाना मैं बदल भी सकता हूं
मेरे चेहरे पर बेशक चले जाना वो मैं एक ही रखता हूं!!
अंदर से कुछ और, बाहर से कुछ और
मैं ऐसे दो रूप नही रखता हूं, मुझे आईने की उतनी जरूरत नहीं
मैं चेहरा पहले से ही बेदाग रखता हूं, दुश्मन भी कम है, दोस्त भी कम है मेरे चाहने वाले हजार हैं मगर
जो सच में मुझे पहचान सके ऐसे चेहरे मेरी जिंदगी में बेहद कम है
ठीक है कि मैं भीड़ का हिस्सा भी हूं, एकांत में रहकर खुद को पहचान सकूं
इतना जरूरी अपनी जिंदगी का किस्सा भी हूं!!
मैं टूट चुका था कितनों ने मुझे तोड़ा था
खुद की कहानी लिखनी है मुझे फिर मैंने ये सोचा था, बस
सोच में दम फिर में भरता गया, और मैं अपने अंदर का सारा सच
एक-एक करके रखता गया। कुछ झूठ भी था अंदर उसे भी बस
एक नज़्म की तरह मैं कहता गया
©Rihan khan
में और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं @mona khan गीत बस एक ख़्याल @Puja Udeshi @Anshu writer @Sethi Ji