Unsplash तुम्हें क्या पता है ओहदा मेरे मसीहा का
***********************************
तुम्हें क्या पता है ओहदा मेरे मसीहा का?
ये वो शख़्स है जो तेरे नस्लों पे भारी पड़ेगा।
वही सजदा,वही इबादत वही मेरा सब कुछ है,
ये मेरा मज़हब भी है जो सब पे भारी पड़ेगा।
कुरेदेगो राख़ तो चिंगारियां हाथ आएंगी तुम्हें,
ये वो शोला है जो हर आग पर भारी पड़ेगा।
तू जमीं पे होकर आसमां को इस क़दर ना आंक,
उसके हर अल्फाज़ तेरे शोहदों पे भारी पड़ेगा।
तू कहता है सियासत में उनका नाम लिया जाता है,
ये वो नाम है जो तेरे फरिश्तों पे भारी पड़ेगा।
बुझी है राख़ पर उन चिरागों को हवा ना दो,
ये वो जज्बा है जो हर मुल्कों पे भारी पड़ेगा।
""""""""""""''''''""""'''"'"""""""'''""""''""""
-----राजेश कुमार
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-20/12/2024
©Rajesh Kumar
#library