krishna vani अनंग रूप कृष्ण का मयूर पंख सोहता। निक | हिंदी Poetry

"krishna vani अनंग रूप कृष्ण का मयूर पंख सोहता। निकुंज कुंज ग्वाल बाल वेणु तान मोहता।। सुधा रसाल नैत्र द्वय मंत्रमुग्ध मोहना। ललाट लेप पीत वर्ण श्याम रूप सोहना।। ©Bharat Bhushan pathak"

 krishna vani अनंग रूप कृष्ण का मयूर पंख सोहता।
निकुंज कुंज ग्वाल बाल वेणु तान मोहता।।
सुधा रसाल नैत्र द्वय मंत्रमुग्ध मोहना।
 ललाट लेप पीत वर्ण श्याम रूप सोहना।।

©Bharat Bhushan pathak

krishna vani अनंग रूप कृष्ण का मयूर पंख सोहता। निकुंज कुंज ग्वाल बाल वेणु तान मोहता।। सुधा रसाल नैत्र द्वय मंत्रमुग्ध मोहना। ललाट लेप पीत वर्ण श्याम रूप सोहना।। ©Bharat Bhushan pathak

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