राम भजन
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रे मन मुसाफिर तू किस काम का
अगर तू ना गाये भजन राम का..!
व्यर्थ काम वासना में डूब रहा है
पाप की नगरी मे मस्त खूब रहा है
जाग जरा सा सोच खरा सा
जन्म ये तेरा पाप भरा सा
मोल क्या है जीवन में राम नाम का..
रे मन मुसाफिर..
लोभ बढ़े पाप करे मोह बढ़ाये
एक घड़ी मुख में तेरे राम न आये
उम्र ये तेरी बीत रही है
पाप की गठरी जीत रही है
कर ले इंतजाम ज़िंदगी की शाम.का..
रे मन मुसाफिर...
आज भी है वक़्त अपनी आँख खोल ले
स्वांस स्वांस 'राम राम' नाम बोल ले
जाने किस घड़ी मौत हो खड़ी
कौन बचाये जहान मतलबी
तुझको क्या ख़बर होगा परिणाम का..
रे मन मुसाफिर...
©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
#NojotoRamleela