हां लिखी हुई है,
हां लिखी हुई है,
जीवन की हर इक कविता,
हर भोर सूर्य की शुचिता,
हाथों पर ऊषा से,
तुरपी गई है,
हां लिखी हुई है,
हां लिखी हुई है,
तुम दुख कहो मैं आंसू,
दुर्भाग्य की कहो मैं हंस दूं,
सुवर्ण सपनों वाली सीढ़ी,
मुर्दों की गढ़ी हुई है,
हां लिखी हुई है,
हां लिखी हुई है,
जो फूलों के रखवाले,
खुशबू को बेचने वाले,
हर डाल पे फूल सजाए,
पर डाली कटी हुई है,
हां लिखी हुई है,
हां लिखी हुई है।
जीवननिधि
©Jeevan Nidhi Tiwari
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