एक वो है जो नींद की अघोष में सो चुकी हैं
एक मैं हूं,जिसकी नींदे आज खो चुकी है
उसने बताया कि वो बंध चुकी है
किसी से शादी के बंधन में एक मुद्दत पहले
उसे फिर से खोकर आंखे कई दफा रो चुकी है।
मुझे गम नहीं की उसका जिस्म हासिल
किसी और को हो चुका कागज़ो पर
मैं खुश हूं उसकी रूह तो मेरी हो चुकी है।
मेरी ख्वाहिश थी उसको बेपनाह मुहब्बत करू
मेरे अरमान लेकिन सारे अब वो धो चुकी है
©शायर_Sarkaari
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