चाँद की आभ के साये में उसकी हल्की सी झलक नज़र आती हैं,
रात के ख़्वाब में मुझसे मिलकर प्रभात के उजाले से पहले चली जाती हैं।
सज़ने सवरने की चाहत उसे नहीं हैं, मगर
मेरे कहने पर छोटी सी बिंदिया लगा लिया करती हैं।
©Himanshu Jain
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