थका अकेला, सबने धकेला
आज रंग मेरा अंग अंग,
मुझे गुलाल कर दे,
मुट्ठी भर कर डाल,
नारंगी हरा और लाल
रंगों से सारा भर दे
मुझे गुलाल कर दे,
बेरंगी चाहत है, किस्मत से आहात है
पर भरा मेरी भी मुट्ठी में है
तू बस आगे गाल कर दे
मुझे गुलाल कर दे,
चाहत बस तेरी ही थी, तेरी ही है
उम्मीद बस तेरी ही थी, तेरी ही है
बेरुखीयों को हटा
चाहत कि ढाल कर दे
मुझे गुलाल कर दे,
©Sandeep Sati
#Holi #दोटूक