याद हैं वह नदी का किनारा
जहाँ मिलना होता था हमारा?
पैरो को डुबाकर नदी के पानी में
हम डूब जाते थे इश्क की कहानी में!
वो सपने, वादे,वह मुलाकातें
किस्से कहानी, भविष्य की बातें।
उम्र बड़ी तो उतरा इश्क का बुखार
कहाँ गया वह, इश्क लाड़, दुलार?
नदी का किनारा हैं वहाँ आज भी
जहाँ दफन हैं हमारे इश्क का राज भी.
©Kamlesh Kandpal
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