शमा सी किस्मत.. फ़िर.. ना किसीको मिली.. ना शमा स | हिंदी Shayari

"शमा सी किस्मत.. फ़िर.. ना किसीको मिली.. ना शमा सा.. फ़िर कोई बना..! वो चाहत ही क्या.. जो खुदकी... परवान ना चढ़ा दे.. बस वो एक... परवाना ही था... जो शमा के बाद.. फ़िर किसी.. और का ना बना..! ©Jaya ki kalam (R)"

 शमा सी किस्मत..
फ़िर..
ना किसीको मिली.. 

ना शमा सा..
फ़िर कोई बना..! 

वो चाहत ही क्या.. 
जो खुदकी... 
परवान ना चढ़ा दे.. 

बस वो एक... 
परवाना ही था... 

जो शमा के बाद.. 
फ़िर किसी..
और का ना बना..!

©Jaya ki kalam (R)

शमा सी किस्मत.. फ़िर.. ना किसीको मिली.. ना शमा सा.. फ़िर कोई बना..! वो चाहत ही क्या.. जो खुदकी... परवान ना चढ़ा दे.. बस वो एक... परवाना ही था... जो शमा के बाद.. फ़िर किसी.. और का ना बना..! ©Jaya ki kalam (R)

#candle

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