White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 19) में आपका स्वागत है!
क्वार्टर के अगल-बगल काफी पेड़ पौधे लगे थे!जो कि बारिश छूटने के बाद भी काफी समय तक टपकटी रहती थी!चांद खिला हुआ था,बारिश की बूंदे शीशे के समान चमक रही थी!हल्की हल्की हवा पेड़ों को ताजगी प्रदान कर रही थी,
तभी एका एक दरवाजा खुलता है,कर्मचारी सीखा को डाटते हुए दरवाजा खोलने में कोई इतना समय लगता है! नंदू को अचानक अपने पिता जी का याद आ जाता है! वो भी मम्मी को इसी तरह डाटते थे!
सीखा अपने बाबू जी के हाथ से छाता लेती हुई तपाक से पूछ बैठती है यह कौन है!
कर्मचारी बैगर जवाब दिये हुए, बरामदे में लगे कील मे अपना कुर्ता टांगनेन लगते हैं!शिखा जवाब न पाकर अपनी नाक सिकुड़ाती हुई चली जाती है!नंदू बाहर दरवाजे को पकड़कर अछोप की तरह खड़ा रहता है!
कर्मचारी--नंदू वहां खड़े क्यों हो , वो दरवाजा गिरने वाला नहीं है आओ बैठो यहां!नंदू हल्के मुस्कुराहट के साथ, बरामदे में लगे कुर्सी पर बैठ जाता है!
©writer Ramu kumar
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